साइक्लोन मोंथा: आंध्र प्रदेश में लैंडफॉल के लिए लाल चेतावनी, 25 लाख लोग प्रभावित
साइक्लोन मोंथा अब सिर्फ एक मौसम की बात नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश के करीब 25 लाख लोगों की जिंदगी को सीधे तौर पर छू रहा है। बंगाल की खाड़ी में बना ये तूफान, जिसकी हवाएं अभी 85 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रही हैं, आज रात तक अमलापुरम और नरसापुर के बीच जमीन पर टकराने वाला है। लेकिन ये तूफान अपनी ताकत खो रहा है — विशेषज्ञों का कहना है कि लैंडफॉल से पहले इसकी गति 75 किमी/घंटा तक घट जाएगी। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ऊपर की हवाओं का झोंका 55 किमी/घंटा से ज्यादा है, और सूखी हवा तूफान के भीतर घुस रही है। लेकिन ये कमजोरी भी खतरा नहीं घटाती। बरसात का डर अब ज्यादा है।
क्या हो रहा है आंध्र प्रदेश में?
भारतीय मौसम विभाग के विजयपुरम के निदेशक �ॉ. एम. मोहपात्रा के अनुसार, आने वाले 24 घंटों में अमलापुरम, नरसापुर, काकिनाडा और विशाखापत्तनम के आसपास के जिलों में 150 से 200 मिलीमीटर बारिश हो सकती है। ये आंकड़ा कोई आम बारिश नहीं — ये ऐसी बारिश है जो एक दिन में नदियों को भर देती है, सड़कों को बहा देती है, और घरों की छतें उड़ा देती है। जिन इलाकों में जमीन नीची है, वहां तूफान का लहर वाला भाग (storm surge) 3-4 मीटर तक ऊपर उठ सकता है। ये वो जगहें हैं जहां लोग बहुत जल्दी भाग रहे हैं।
एनडीआरएफ के टीमें पहले ही तैनात हो चुकी हैं। नियम के मुताबिक, अगर तूफान आए तो ये टीमें बचाव कार्य करेंगी। लेकिन यहां बात अलग है — टीमें अभी से तैयार हो रही हैं। आंध्र प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के महानिदेशक एस. एन. प्रकाश ने कहा कि नरसापुर से काकिनाडा तक के 150 किमी के तटीय क्षेत्र में बाध्यकारी खाली कराने के आदेश जारी हैं। लोगों को घरों से निकाला जा रहा है। स्कूल, चर्च, और सार्वजनिक भवनों को आश्रय केंद्र बना दिया गया है।
परिवहन और बिजली: जीवन रुक गया
सड़कें अब बंद हैं। आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर राजामहेंद्री से विशाखापत्तनम तक की सभी बस सेवाएं 27 अक्टूबर को शाम 6 बजे से रोक दी हैं। इसका मतलब है — अगर आपका परिवार आज शाम को विशाखापत्तनम जाना चाहता है, तो आपको अगले दिन तक इंतजार करना होगा।
बिजली की स्थिति और भी खतरनाक है। एपीएसपीडीसीएल — आंध्र प्रदेश साउथर्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी — ने अपने तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा है। लगभग 25 लाख ग्राहकों को बिजली बंद होने की आशंका है। ट्रांसमिशन टावर, बिजली के तार, और सबस्टेशन बाढ़ और पेड़ों के गिरने से खतरे में हैं। ये नहीं है कि बिजली बंद हो जाएगी — ये है कि बिजली का जाल टूट सकता है। और जब बिजली बंद होती है, तो अस्पतालों के ऑक्सीजन मशीन, डायलिसिस मशीन, और दवाओं के ठंडे स्टोरेज सिस्टम भी बंद हो जाते हैं।
मछुआरे और समुद्र का खतरा
बंगाल की खाड़ी में मछुआरे अब नहीं निकल सकते। भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमांड ने तूफान के भविष्यवाणी किए गए पथ के 500 किमी तक के क्षेत्र में मछुआरों को पूरी तरह बर्ज कर दिया है। ये निर्णय केवल बचाव के लिए नहीं, बल्कि बचाव के लिए भी है। पिछले साल, एक मछुआरा जहाज तूफान में खो गया था — उसके बाद बार-बार चेतावनी दी गईं। लेकिन अब ये चेतावनी अलग है। ये एक निर्देश है। और इसका पालन न करना जानलेवा हो सकता है।
तेलंगाना का डर: क्यों रेवंथ रेड्डी ने चेतावनी दी?
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी ने आंध्र प्रदेश के तूफान के बारे में चेतावनी दी। ये अजीब लग सकता है। लेकिन नहीं। तेलंगाना के पूर्वी जिले — नागौर, करीमनगर, और निजामाबाद — आंध्र के तटीय इलाकों से बहुत करीब हैं। अगर तूफान जोर से बारिश करता है, तो ये बारिश तेलंगाना की ओर भी बह जाएगी। यहां के लोग अभी तक बाढ़ के अनुभव से डरे हुए हैं। इसलिए रेवंथ रेड्डी ने अपने राज्य के जिला प्रशासन को तैयार रहने का आदेश दिया। ये एक बड़ी बात है — एक राज्य दूसरे राज्य के तूफान के लिए तैयार हो रहा है।
क्या आगे होगा?
जॉइंट टाइफून वॉर्निंग सेंटर के अनुसार, लैंडफॉल के 24 घंटे के अंदर तूफान पूरी तरह बुझ जाएगा। लेकिन बारिश का असर तीन दिन तक रहेगा। नदियां बहती रहेंगी। सड़कें बंद रहेंगी। बिजली वापस आने में सप्ताहों लग सकते हैं। अगर आप तटीय क्षेत्रों में रहते हैं, तो अपने घर में पानी, खाना, और बैटरी बैकअप रखें। ज्यादा नहीं — बस इतना कि आप दो दिन बिना बाहर निकले जीवित रह सकें।
साइक्लोन का नाम क्यों है 'मोंथा'?
ये नाम थाइलैंड ने दिया है। उत्तरी हिंद महासागर में साइक्लोनों के नाम आठ देशों की एक सूची से लिए जाते हैं — भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, मालदीव, ओमान, थाइलैंड और पाकिस्तान। हर देश अपना नाम देता है। 'मोंथा' का मतलब थाई भाषा में 'चांद' है। अब जब ये तूफान बुझ जाएगा, तो अगली बार इसी सूची में अगला नाम आएगा — और फिर एक नया नाम, एक नया खतरा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन मोंथा के कारण कितने लोग प्रभावित हो सकते हैं?
लगभग 25 लाख लोग आंध्र प्रदेश के तटीय जिलों में प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें बिजली, पानी और यातायात की सुविधाएं बाधित हो सकती हैं। नरसापुर से काकिनाडा तक के 150 किमी के क्षेत्र में बाध्यकारी खाली कराने के आदेश जारी हैं, जहां 30 लाख से अधिक लोग रहते हैं।
मोंथा तूफान क्यों कमजोर हो रहा है?
ऊपर की हवाओं का झोंका (वर्टिकल विंड शियर) 55 किमी/घंटा से अधिक है, जो तूफान के बीच के गर्म हवा के स्तंभ को बिखेर रहा है। साथ ही, सूखी हवा तूफान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में घुस रही है, जिससे बारिश का निर्माण रुक रहा है। ये दोनों कारण तूफान को तेज नहीं होने दे रहे।
क्या तेलंगाना भी बाढ़ से गुजर सकता है?
हां। आंध्र प्रदेश के तूफान की बारिश का पानी पूर्वी तेलंगाना के जिलों जैसे नागौर और करीमनगर में बह सकता है। यहां की नदियां पहले से भरी हुई हैं। इसलिए मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी ने जिला प्रशासन को तैयार रहने का निर्देश दिया है।
बिजली बंद होने का असर क्या होगा?
25 लाख ग्राहकों को बिजली की सुविधा बंद हो सकती है। अस्पतालों में ऑक्सीजन मशीनें, डायलिसिस मशीनें और दवाओं के ठंडे स्टोरेज सिस्टम बंद हो सकते हैं। यही कारण है कि एपीएसपीडीसीएल ने तुरंत आपातकालीन टीमें तैनात की हैं।
मछुआरों को बर्ज क्यों किया गया है?
बंगाल की खाड़ी में तूफान के भविष्यवाणी किए गए पथ के 500 किमी तक के क्षेत्र में नौसेना ने मछुआरों को बर्ज कर दिया है। यहां लहरें 5.8 मीटर तक हैं — ये छोटी नावों के लिए मौत का कारण बन सकती हैं। पिछले साल ऐसे ही एक घटना में 17 मछुआरे खो गए थे।
तूफान के बाद क्या होगा?
24 घंटे के भीतर तूफान बुझ जाएगा, लेकिन बाढ़ का असर तीन दिन तक रहेगा। सड़कें बंद रहेंगी, बिजली वापस आने में सप्ताहों लग सकते हैं, और रोग प्रकोप का खतरा बढ़ेगा। इसलिए लोगों को दो दिन के लिए पानी, खाना और बैटरी बैकअप रखना चाहिए।